लौकी की बेल को पीले होने और सूखने से कैसे बचाएं?

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अगर आपने लौकी लगाई हुई है और आपके लौकी की बेल के पत्ते पीले होकर सुख रहे है‌ और छोटे फल काले पीले होकर खराब हो रहे हैं। तो आज के इस ब्लॉग में हम आपको लौकी के बेल को हरा भरा कैसे रखें इसकी पूरी जानकारी देंगे।

लौकी की बेल पीला हो जाना यह समस्या सबसे ज्यादा गर्मियों में देखने को मिलता है क्योंकि गर्मी काफी ज्यादा बढ़ने के कारण पौधों में यह समस्याएं पैदा हो जाती हैं। लौकी की बेल अगर पीली होती है तो उसमें आने वाले छोटे फल भी सूख जाते हैं जिसके कारण वह भी बड़ा नहीं हो पता है तो यह भी एक समस्या हैं। पहले यह जानते हैं।

लौकी की बेल पीला क्यों होते है

लौकी की बेल का पीला होना यह कई कारणों से हो सकता है, जिसमें पोषक तत्वों की कमी के कारण भी लौकी के बल पीला हो सकता है। बेल का पीला होना यह जलवायु परिवर्तन के कारण भी हो सकता है तथा लौकी में पानी की कमी या अधिक मात्रा के कारण भी हो सकता है। तो चलिए जान लेते हैं की लौकी की बेल पीले क्यों होते हैं।

लौकी की बेल पीला क्यों होते है

पोषक तत्वों की कमी

पौधों को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत होती है और अगर पोषक तत्व सही से नहीं मिलते हैं तो लौकी की बेल पीली हो सकती है। बेल का पीला होना यह नाइट्रोजन की कमी से हो सकता है क्योंकि यह पत्तियों में क्लोरोफिल उत्पादन के लिए जरूरी होता है। इसके अलावा पोटेशियम, मैग्नीशियम और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण भी पत्तियों में पीलापन हो सकता है। मिट्टी की सही से जांच करें और आवश्यकता अनुसार पोषक तत्वों की कमी को दूर करें।

किट और रोग

लौकी की बेल पर अनेकों तरीके के कीट और रोगों का प्रकोप होता है, जिससे पत्तियां पीली हो सकती है। कीट पौधों के पत्ते से रस चूसते हैं, जिस कारण पत्तियां पीली और कमजोर हो सकती है। इसके अलावा पौधों में फंगल इन्फेक्शन भी पत्तियों को पिला कर सकते हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करें।

जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन का पौधा पर सीधा असर डालता है। अधिक गर्मी या ठंड के कारण भी पौधे में पीलापन की समस्या आ सकती है। इसके अलावा अधिक बारिश और अधिक नमी भी पौधों में फंगल इन्फेक्शन को पैदा कर सकती है, इससे पत्तियां पीली हो सकती है। इसलिए जल निकासी और पौधों की छाया का प्रबंध करें और इस समस्या से छुटकारा पाएं।

पानी की कम या अधिकता

पानी की मात्रा भी लौकी की बेल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पानी की कमी से पौधों की जड़े सुख सकती है, जिससे पौधे पीले हो जाते हैं। नहीं पानी की अधिक मात्रा से जड़ सड़ने लगता है इससे भी पौधे पीले पड़ जाते हैं। इसलिए मिट्टी की नमी को नियंत्रित करें और पौधों को उसके अनुसार पानी दें।

मिट्टी की गुणवत्ता

मिट्टी की गुणवत्ता विशेष रूप से पौधों की विकास में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। मिट्टी में अगर अधिक मात्रा में अम्ल और क्षारक है, तो पौधों को आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं जिससे पत्तियां पीली हो जाती है। इसलिए मिट्टी की जांच करें और आवश्यकता अनुसार उसमें चुने या गंधक का उपयोग करें।

लौकी की बेल को हरा-भरा कैसे करें

लौकी की बेल को हरा-भरा करने के लिए कई सारे रास्ते हैं, जिसको अपनाकर आप लौकी के बेल को हरा भरा कर सकते हैं। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं इसकी मदद से आप अपनी बेल को हरा भरा कर सकते हैं।

सही मिट्टी और पोषण

मिट्टी की सही से जांच करें और पौधों में आवश्यक तत्वों की कमी को पूरा करें। मिट्टी के आवश्यक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए आप उर्वरक खाद का उपयोग कर सकते हैं। लौकी की बेल में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम युक्त उर्वरक का उपयोग करें। यह तत्व पौधों की वृद्धि और हरी पत्तियों के लिए जरूरी होती है।

जल प्रबंधन

लौकी की बेल को सीमित मात्रा में पानी दें। पानी की मात्रा कम या ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बल्कि जीतना जरूरी हो उतना ही पानी दे। अधिक पानी से जड़ सकता है। पानी निकासी की अच्छे से व्यवस्था करें, क्योंकि पानी जमा होने से बेल की जड़े खराब हो सकती है। बेल को जितना हो सके ऊंचाई की ओर रखें।

कीट और रोग नियंत्रण

बेल को समय-समय पर जांच करते रहें और किसी भी कीट या रोग का प्रकोप मिलने पर तुरंत उसका इलाज करें। कीट नियंत्रण के लिए नीम के तेल या साबुन के घोल का उपयोग करें। यह जैविक तरीका कीट को नुकसान पहुंचाए बिना नियंत्रित करते हैं। फंगल संक्रमण से बचने के लिए बेल को अधिक नमी से बचाए।

उचित देखभाल

समय-समय पर बल की छाती करें ताकि नए पत्तियां बेलों पर आ सके। पुरानी और मरी हुई पत्तियां को बेल से हटा दें। बेल को बढ़ने के लिए सहारा दें, जिससे बेल अधिक मात्रा में विकसित हो सके। मिट्टी के ऊपर मल्चिंग का उपयोग करें। यह मिट्टी को नमी बनाए रखने में मदद करती हैं।

सूरज की रोशनी

लौकी की बेल को पर्याप्त मात्रा में सूर्य की रोशनी मिलना चाहिए। लौकी की बेल को प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 घंटे की सीधी धूप मिलनी चाहिए। इससे पौधों में फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया सही से काम करती है और पत्तियां हरी और स्वस्थ्य रहती है।

समय पर देखभाल

पौधों को सही से देखभाल करें, पानी देना, पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना, और रोगों की जांच करना है। पौधों में जो भी कमी है उसको पूरा करें।

इन सभी टिप्स को आप फॉलो करें आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों के अंदर आपके लौकी की बेल पुरी तरह से हरा भरा हो जाएगा। आप इन टिप्स को फॉलो करते हैं तो आपका पौधा हरा-भरा ही नहीं बल्कि जायदा मात्रा में फल भी देगा।

FAQs

Q. लौकी में फल नहीं आ रहा है क्या करें?

उत्तर: लौकी में फल न आने का कारण परागण की कमी, पोषक तत्वों की कमी, पानी का असंतुलन, अत्यधिक तापमान, और पौधों की उचित देखभाल के कारण भी हो सकता है। परागण की कमी को दूर करने के लिए हाथ से परागण करें, मिट्टी में आवश्यक खाद और उर्वरक डालें, पानी सही मात्रा में दें, पौधों को अत्यधिक तापमान से बचाएं।

Q. एक पौधे पर कितने लौकी उगते है?

उत्तर: एक लौकी के पौधे से औसतन 10 से 20 लौकी मिल सकती हैं। यदि लौकी का पौधा स्वस्थ हों और पौधे की अच्छी देखभाल की जाए, तो यह संख्या अधिक भी हो सकती है।

Q. लौकी में फल लाने के लिए क्या करें?

उत्तर: लौकी में फल लाने के लिए पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व दें, और सही मात्रा में पानी दें ताकि मिट्टी नम रहे लेकिन पानी जमा न हो। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.0 के बीच बनाए रखें और पौधों की निराई-गुड़ाई करते रहें। रोग और कीटों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें और पौधों को पर्याप्त धूप मिलने दें।

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